अनुक्रमणिका
श्रीमती राघवी कोनेकर
सामान्य चाय के दुष्परिणाम होने से अनेक लोगों को ‘चाय पीना बंद करना चाहिए’, ऐसा लगता है; परंतु ‘चाय का कोई अन्य विकल्प होना चाहिए’, ऐसा भी लगता है । ऐसे लोगों के लिए घर की खेती के अंतर्गत फूल-पत्तियों से बनाई जानेवाली चाय के ये विकल्प उपलब्ध हैं । प्रतिदिन एक ही स्वादवाली चाय पीने की अपेक्षा ऐसे विभिन्न विकल्पों के प्रयोग (आजमाने) से मन को नवीनतापूर्ण आनंद का अनुभव मिल पाएगा ।
१. अपराजिता के फूलों की नीली चाय (Blue Tea)
‘अपराजिता की बेल तथा उसके नीले फूल सर्वपरिचित हैं । अपराजिता की बेल में छोटी-छोटी फलियां आती हैं तथा उसके नीले फूल से सभी परिचित हैं । बेल में ही इन फलियों के सूख जाने पर उससे बीज निकलते हैं । इन बीजों की खेती कर उससे अपराजिता की बेल उगाई जा सकती है । अपराजिता के फूलों की ‘नीली चाय’ बना जा सकते हैं ।
१ अ. लगभग २ कप चाय के लिए आवश्यक सामग्री
ढाई कप पानी, नीली अपराजिता के ८ से १० फूल, ४ – ५ तुलसी के पत्ते, अदरक का छोटा सा टुकडा, घास की चाय (ग्रास टी) के ४ छोटे पत्ते तथा दालचीनी का १ छोटा टुकडा
१ आ. बनाने की पद्धति
अपराजिता के फूलों को हल्के हाथों से धो लें; क्योंकि इन फूलों को मलने से उनका नीला रंग चला जाता है । इन फूलों सहित उक्त सभी सामग्री को २ मिनट तक उबालें और इस मिश्रण को कुछ समय तक ढंककर रखें । उसके उपरांत उसमें स्वाद के लिए आवश्यक गुड तथा रुचि के अनुसार नींबू का रस मिलाकर गुनगुनी चाय पीएं ।
२. अडहुल की पंखुडियों की लाल चाय (Red Tea)
अपराजिता के फूलों की भांति अडहुल की पंखुडियों से भी चाय बनाई जा सकती है । ऊपर दी गई अपराजिता के फूलों की चाय के लिए उपयोग की जानेवाली सामग्री का उपयोग करें और उसके समान ही चाय बनाएं ।
३. तुलसी एवं अदरक के पत्तों की हरी चाय (Green Tea)
मंडी में मिलनेवाले अदरक के कंदों को सहजता से मिट्टी में रोपा जा सकता है । कंद लगाने से लेकर नया अदरक कटाई के लिए होने तक लगभग ८ – ९ माह का समय लगता है । इस अवधि में बढनेवाले पौधे में बहुत पत्ते आते हैं तथा इन पत्तों से चाय बनाई जा सकती है । तुलसी की भी अनेक प्रजातियां लगाई जा सकती है । उदा. राम तुलसी, कृष्ण तुलसी, जंगली तुलसी, कपूर तुलसी, धूप तुलसी ! इस चाय में अपनी रुचि के अनुसार तुलसी के एक अथवा एक से अधिक प्रकार के पत्ते डाले जा सकते हैं ।
३ अ. लगभग २ कप चाय के लिए आवश्यक सामग्री
ढाई कप पानी, अदरक के ५ – ६ पत्ते, तुलसी के ५ – ६ पत्ते, चाय घास की ४ छोटी पत्तियां, रुचि के अनुसार थोडी इलायची का चूर्ण अथवा दालचीनी, लौंग एवं काली मिर्च में से कोई भी एक मसाला
– श्रीमती राघवी मयूरेश कोनेकर, ढवळी, फोंडा, गोवा. (२७.९.२०२२)
‘आपने ऊपर दिए अनुसार विभिन्न प्रकार की चाय बनाकर पी, तो आप अपने अनुभव निम्नांकित संगणकीय पते पर अवश्य सूचित करें । आपातकाल में चाय नहीं मिली, तो ऊपर दी विभिन्न पद्धति में से अपनी रुचि के अनुसार चाय बनाकर पी सकेंगे तथा उससे संबंधित लेखन प्रकाशित करने के संबंध में हमें लिखकर भेजें । इससे अन्य साधकों को भी इसका लाभ मिलेगा । – संकलनकर्ता
संगणकीय पता : [email protected]’ |