रात में यदि नींद नहीं आती हो, तो आंखों पर से आवरण हटाकर आंखों की कष्टदायक शक्ति दूर करें !

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‘रात में नींद न आने का कष्टवाले कुछ साधकों को मैंने आध्यात्मिक उपाय बताए । उनके लिए उपाय ढूंढते समय ऐसे ध्यान में आया, ‘उनके नींद न आने का मुख्य आध्यात्मिक कारण आंखों पर होनेवाला कष्टदायक शक्ति का आवरण एवं आंखों में विद्यमान कष्टदायक शक्ति है ।’ कष्टदायक शक्ति के जडत्व के कारण नींद आते हुए भी आंखें बंद नहीं होतीं । मैंने उपाय कर उनकी आंखों से कष्टदायक शक्ति दूर की तो उन्हें रात को ठीक से नींद लगी । इसलिए रात में नींद न आनेवालों के लिए आंखों में कष्टदायक शक्ति को दूर करना आवश्यक है । उसके लिए आगे दी गई पद्धति का अवलंब करें ।

सद्गुरु (डॉ.) मुकुल गाडगीळ

१.‘प्राणशक्तिवहन उपायपद्धति’से उपाय ढूंढते समय हममें विद्यमान कष्टदायक शक्ति का भान होने के लिए जैसे हम शरीर के चक्रों पर हाथों की उंगलियां घुमाते हैं, वैसे आंखों पर कष्टदायक शक्ति का भान होने के लिए आंखों के सामने उंगलियां घुमानी होती हैं और आंखों के लिए उपाय ढूंढना पडता है ।

‘प्राणशक्तिवहन उपायपद्धति’से उपाय कैसे ढूंढें ?’, इसकी विस्तृत जानकारी सनातन के ग्रंथ ‘विकार-निर्मूलन के लिए प्राणशक्ति (चेतना) वहन संस्था की बाधाएं कैसे ढूंढें ?’ इसमें दी है । उसी अनुसार मार्गिका पर भी वह संक्षिप्त स्वरूप में उपलब्ध है ।

२. आंखों के सामने उंगलियां घुमाते समय ऐसा लगे कि आंखों पर आवरण है तो उस आवरण को निकालना आवश्यक है । उसके लिए हाथों से हवा लेने समान आंखों पर से आवरण दूर ढकेलें । ‘कष्टदायक शक्ति का आवरण दूर कैसे करना है ?’, इसकी जानकारी सनातन के ऊपरोल्लेखित ग्रंथ में दी है ।

३. आंखों पर कष्टदायक शक्ति का आवरण दूर करने पर ‘आंखों पर कष्टदायक शक्ति कैस दूर करनी है ?’, इसकी पद्धति हम अब देखेंगे । आंखों में कष्टदायक शक्ति के प्रवेश करते समय वह आंखों के कान की ओर के कोने से प्रवेश करती है और फिर आंखों में फैलती है । आंखों की कष्टदायक शक्ति बाहर निकलते समय भी वह आंखों के कान की ओर के कोने से बाहर जाती है । इसलिए ‘आंखों पर उपाय करना हो, तो आंखों के सामने से उपाय करना परिणामकारक नहीं, अपितु आंखों के कानों की ओर के कोनों पर उपाय करना परिणामकारक है ।

४.‘शरीर के किसी भाग में कष्ट हो रहा हो, तो उस भाग पर हाथ की उंगलियां घुमाकर ‘प्राणशक्तिवहन उपायपद्धति’से उपाय कैसे ढूंढना है ?’, इसकी पद्धति ‘सूत्र १’ में उल्लेखित सनातन के ग्रंथ में दी है । वही पद्धति आंखों के कष्ट के लिए उपाय ढूंढते समय उपयोग में लाएं ।

५. आंखों के लिए उपाय ढूंढने पर तेजतत्त्व, वायुतत्त्व अथवा आकाशतत्त्व, इन पंचमहाभूतों का उपाय हो, तो अनुक्रम से मध्यमा, तर्जनी अथवा अंगूठे से संबंधित मुद्रा आती है । तब वह मुद्रा दोनों हाथों से करें एवं उस मुद्रा से आंखों के कान के निकट के कोने पर न्यास कर उपाय करें । आकाशतत्त्व के आगे निर्गुण से संबंधित ‘शून्य’, ‘महाशून्य’, ‘निर्गुण’ अथवा ‘ॐ’, इस नामजप का उपाय आने पर एक हथेली दोनों आंखों के सामने रखकर उपाय करें एवं दूसरी हथेली आकाश की दिशा में कर अपनी गोद में रखें ।

६. आंखों पर न्यास सहित उपाय करते समय बीच-बीच में ‘आंखों पर कष्टदायक शक्ति दोनों हाथों की मुठ्ठी में एकत्र कर उसे दूर करना’, ऐसा भी करें । इससे अधिक परिणामकारक उपाय होंगे । आंखों की कष्टदायक शक्ति दोनों हाथों की मुठ्ठी में एकत्र करते समय वह आंखों के कान के समीप के कोने से एकत्र करें ।

७. उपाय करते समय आंखों पर जडत्व न्यून होने से आंखों में कुछ हलकापन लगे, तो पुन: आंखों के लिए जप ढूंढें । तब प्रत्येक बार जप न्यून स्तर का मिलता जाता है, उदा. आरंभ के ‘शून्य’ इस जप से वह ‘आकाशदेव’, ‘वायुदेव’ एवं अंत में ‘अग्निदेव’ ऐसे होता जाता है । आंखों पर उपाय करते समय जप न्यून स्तर का होते जाने पर दोनों आंखों में नाक के पास के कोने से कानों के कोनों तक, कष्टदायक शक्ति अल्प अल्प होती जाने का भान होगा ।

८. अंत में आंखों की कष्टदायक शक्ति पूर्णरूप से दूर होने पर, आंखें हलकी एवं प्रकाशमान लगने लगती है ।
तदुपरांत आंखों पर उपाय करना रोक दें एवं शांत नींद आने के लिए भगवान से प्रार्थना कर सोएं ।’

– (सद्गुरु) डॉ. मुकुल गाडगीळ, गोवा. (३०.१०.२०२०)

आध्यात्मिक कष्ट

इसका अर्थ व्यक्ति में नकारात्मक स्पंदन होना । व्यक्ति में नकारात्मक स्पंदन ५० प्रतिशत अथवा उससे भी अधिक मात्रा में होना, अर्थात तीव्र कष्ट, नकारात्मक स्पंदन ३० से ४९ प्रतिशत होना, अर्थात मध्यम कष्ट, तो ३० प्रतिशत से अल्प होना, अर्थात मंद आध्यात्मिक कष्ट होना है । आध्यात्मिक कष्ट यह प्रारब्ध, पूर्वजों के कष्ट आदि आध्यात्मिक स्तर के कारणों से होता है । आध्यात्मिक कष्ट का निदान संत अथवा सूक्ष्म स्पंदन समझ पानेवाला साधक कर सकता है ।

 

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