यू.ए.एस. (Universal Aura Scanner)’
नामक उपकरण द्वारा प्रभामंडल मापन के संदर्भ में जानकारी
१. परीक्षण के घटकों की अध्यात्मस्तरीय विशेषताएं
वैज्ञानिक उपकरण अथवा प्रणाली द्वारा अध्ययन करने का उद्देश्य
किसी घटक (वस्तु, वास्तु, प्राणी और मनुष्य)में कितने प्रतिशत सकारात्मक स्पंदन हैं ?वह सात्त्विक है अथवा नहीं ?आध्यात्मिक दृष्टि से लाभदायक है अथवा नहीं ? यह समझने के लिए व्यक्ति में बुद्धि से परे की सूक्ष्म बातें समझने की योग्यता होनी आवश्यक है । यह योग्यता उच्च आध्यात्मिक स्तर के संतों में होती है । इसलिए वे प्रत्येक घटक के स्पंदन अचूक निदान कर सकते हैं । श्रद्धालु और साधक संतों के वचनों पर विश्वास करते हैं;परंतु बुद्धिवादी लोगों के विषय में ऐसा नहीं है;वे प्रत्यक्ष प्रमाण मांगते हैं । उन्हें प्रत्येक बात वैज्ञानिक परीक्षणों से सिद्ध कर दिखानी पडती है,तभी वे उसे सत्य मानते हैं ।
२. यू.ए.एस् उपकरण की जानकारी
यू.ए.एस उपकरण का परिचय : इस उपकरण को ऑरा स्कैनर भी कहते हैं । इससे घटकों (वस्तु, भवन, प्राणी और मनुष्य)की ऊर्जा और उनका प्रभामंडल मापा जा सकता है । इस यंत्र का विकास भाग्यनगर, तेलंगाना के भूतपूर्व परमाणु वैज्ञानिक डॉ.मन्नम मूर्ति ने वर्ष २००३ में किया था । वे बताते हैं कि इस यंत्र का प्रयोग भवन, चिकित्साशास्त्र, पशु चिकित्साशास्त्र तथा वैदिक शास्त्र में आनेवाली बाधाआें का पता लगाने के लिए किया जा सकता है ।
(यू.ए.एस् उपकरण के विषय में अधिक जानकारी हेतु देखें : http://www.vedicauraenergy.com/universal-scanner)
३. परीक्षण की घटक वस्तुएं और उनका विवरण
३ अ. नकारात्मक ऊर्जा
यह ऊर्जा हानिकारक होती है । इसके निम्नांकित दो प्रकार होते हैं ।
३ अ १. अवरक्त ऊर्जा (इन्फ्रारेड): इसमें घटक से प्रक्षेपित होनेवाली इन्फ्रारेड ऊर्जा नापते हैं । उसके लिए -IR यह नमूना रखते हैं ।
३ अ २. जंबुपार ऊर्जा (अल्ट्रावायोलेट): इसमें घटक से प्रक्षेपित होनेवाली अल्ट्रावायोलेट ऊर्जा नापते हैं । उसके लिए -UV यह नमूना रखते हैं ।
३ आ. सकारात्मक ऊर्जा
यह ऊर्जा लाभदायक होती है । इसे मापने के लिए स्कैनर में सकारात्मक ऊर्जा दर्शानेवाली +ve प्रादर्श(नमूना) वस्तु रखी होती है ।
३ इ. यू.ए.एस. उपकरण से घटक वस्तु का प्रभामंडल मापन
प्रभामंडल मापने के लिए उस घटक वस्तु के सर्वाधिक स्पंदनवाले प्रादर्श का (नमूने का) उपयोग किया जाता है;उदा.व्यक्ति के विषय में उसकी लार अथवा छायाचित्र,वस्तु के विषय में उसका छायाचित्र,वनस्पति के विषय में उसका पत्ता,मनुष्येतर प्राणियों के विषय में उनके बाल,भवन के विषय में वहां की मिट्टी अथवा धूल और देवता की मूर्ति के विषय में उसे लगा हुआ चंदन, कुमकुम, सिंदूर इत्यादि ।
४.इ. यू.ए.एस. उपकरण से प्रयोग की पद्धति
इससे प्रयोज्य वस्तु की क्रमशः इन्फ्रारेड ऊर्जा, अल्ट्रावायोलेट ऊर्जा और सकारात्मक ऊर्जा मापते हैं । इसके लिए आवश्यक नमूना यू.ए.एस. स्कैनर में रखा जाता है । उपर्युक्त तीन परीक्षणों के पश्चात वस्तु का प्रभामंडल मापते हैं और उसके लिए उसमें सूत्र ३ आ ३ में दिए अनुसार नमूना वस्तु रखी जाती है ।
भवन अथवा वस्तु की इन्फ्रारेड ऊर्जा मापने के लिए यू.ए.एस स्कैनर में पहले इन्फ्रारेड ऊर्जा मापक नमूना रखा जाता है । इसके पश्चात,परीक्षक व्यक्ति स्कैनर को विशिष्ट पद्धति से हाथ में पकडकर,प्रयोज्य वस्तु के सामने लगभग एक फुट के अंतर पर खडा होता है । उस समय स्कैनर की दो भुजाआें के बीच बननेवाला कोण उस वस्तु की इन्फ्रारेड ऊर्जा की मात्रा दर्शाता है;उदा.स्कैनर की भुजाएं १८० अंश खुली हों,तब उस वस्तु में इन्फ्रारेड ऊर्जा १०० प्रतिशत है और स्कैनर की भुजा थोडी भी नहीं खुली (अर्थात ० अंश का कोण है),तब उस वस्तु में इन्फ्रारेड ऊर्जा नहीं है । स्कैनर की भुजा १८० अंश खुलने पर,भुजाआें का यह कोण,स्कैनर को उस वस्तु से कितना दूर रखने पर बना रहता है,यह मापा जाता है । यह अंतर, उस वस्तु की इन्फ्रारेड ऊर्जा का प्रभामंडल हुआ । स्कैनर की भुजाएं १८० अंश से न्यून कोण में खुलें,तब इसका अर्थ यह हुआ कि उस वस्तु के सर्व ओर इन्फ्रारेड ऊर्जा का प्रभामंडल नहीं है । इसी प्रकार, क्रमशः अल्ट्रावायोलेट ऊर्जा, सकारात्मक ऊर्जा और उस वस्तु के विशिष्ट स्पंदनों का प्रभामंडल मापा जाता है ।
५. परीक्षण में समानता आने के लिए ली गई सावधानी
अ. उपकरण का उपयोग करनेवाले व्यक्ति को आध्यात्मिक कष्ट (नकारात्मक स्पंदन)नहीं था ।
आ. उपकरण का उपयोग करनेवाले व्यक्ति द्वारा पहने वस्त्रों के रंग का प्रभाव परीक्षण पर न हो,इसलिए उस व्यक्ति ने श्वेत वस्त्र पहने थे ।