नमक पानी – १५ मिनटों में अनुभव करें Positivity

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नमक पानी का उपयोग हम अनेक स्थानों पर करते हैं । नमक पानी, यह अत्यंत सरल और प्रभावी उपाय है । उसके लाभ आगे दिए हैं । हमें यदि दिनभर सुस्ती आना, भारीपन लगना, निरुत्साही लगना, कुछ न सूझना, चिंतातुर होना, किसी भी काम में एकाग्रता न होना, कोई कारण न होते हुए भी चिडचिड होना, क्रोध आना अथवा शरीर व्याधिग्रस्त होना, इस प्रकार के अनुभव आ रहे हों, तो उस पर मात करने के लिए अत्यंत सरल एवं प्रभावी उपाय है नमक पानी के उपाय । नियमितरूप से नमक पानी के उपाय करने से शरीर की अनिष्ट शक्तियों को नष्ट करना संभव होता है ।

आध्यात्मिक उपायों से साधना की अडचनें दूर होती हैं । अपने शरीर, मन एवं बुद्धि पर आए नकारात्मक एवं अनिष्ट शक्तियों का आवरण दूर होने में सहायता होती है । अनिष्ट शक्तियों का प्रतिकार करना संभव होता है । हम जितने आध्यात्मिक उपाय करेंगे, उतना हमारे आसपास का आवरण दूर होकर हमें हलकापन लगेगा । सनातन संस्था के संस्थापक सच्चिदानंद परब्रम्ह डॉ. जयंत आठवलेजी ने अखिल मानवजाति के कल्याण के लिए, साधक अच्छी साधना कर पाएं, इसलिए अनेक उपचार पद्धतियां ढूंढ निकाली हैं । उनमें से एक जो है नमक-पानी के उपाय, इस विषय में हम समझ लेंगे ।

 

१. अनिष्ट शक्तियों के कारण आए आवरण के लक्षण

हम पर अनिष्ट अथवा काली शक्तियों का आवरण आया है, इसे कैसे पहचानेंगे ?, उसके कुछ लक्षण हैं । वे लक्षण संक्षेप में नीचे दिए हैं ।

दिन पर सुस्ती आना, भारीपन लगना, निरुत्साही रहना, कुछ न सूझना, चिंतातुर होना, कोई भी काम करते समय एकाग्रता न होना, कोई कारण न होते हुए भी चिडचिड होना, क्रोध आना अथवा शरीर व्याधिग्रस्त होना । यदि इस प्रकार के अनुभव हमें आ रहे हों, तो हम कह सकते हैं कि ‘हम पर आवरण आया है’ । आवरण बढने से हम शारीरिक एवं मानसिक दृष्टि से दुर्बल हो जाते हैं । ऐसा न हो; इसलिए हमें गंभीरता से आध्यात्मिक उपाय करना आवश्यक होता है ।

अ. आध्यात्मिक उपायों का महत्त्व

वातावरण में सकारात्मक एवं नकारात्मक, ऐसी दोनों शक्ति कार्यरत होती हैं । उन्हें आध्यात्मिक भाषा में अनुक्रम में दैवीय एवं अनिष्ट शक्ति कहते हैं । दैवीय शक्ति साधना करनेवाले जीवों की सहायता करती हैं, तो अनिष्ट शक्तियां साधना खंडित होने के लिए प्रयत्नरत रहती हैं । यह एकप्रकार से देवासुर संग्राम है । जो अनादि काल से चल रहा है । वातावरण की अनिष्ट शक्ति अपनी सूक्ष्म काली शक्ति से लोगों को कष्ट देती है । अनिष्ट शक्ति व्यक्ति के शरीर में भारी मात्रा में अनिष्ट शक्ति के केंद्र बनाते हैं एवं नकारात्मक शक्ति संग्रहित रखती हैं । इन अनिष्ट शक्तियों के निराकरण हेतु साधना करना, इसके साथ ही आध्यात्मिक उपाय करना अत्यावश्यक है ! आध्यात्मिक उपायों के कारण अनिष्ट शक्तियों का निराकरण करना संभव होता है । इससे आध्यात्मिक कष्ट से लडने में साधना खर्च नहीं होती और साधना का उपयोग व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति के लिए होता है ।

 

२. नमक-पानी के उपाय करने के लिए आवश्यक सामग्री

यह एक सरल आध्यात्मिक उपाय है । यह उपाय करने के लिए एक बडी बाल्टी जो पानी से आधी भरी हो, लोटा (मग), खडा नमक, पैर पोछने के लिए कपडा और पैरपोस, यह सामग्री आवश्यक है । खडा नमक उपलब्ध न हो, तो कभी-कभार बारीक नमक भी चल सकता है; परंतु उससे उपायों की परिणामकारकता ३० प्रतिशत न्यून हो जाती है ।

 

३. नमक-पानी उपाय करने की पद्धति

१. आरंभ में आधी बालटी पानी लें ।

२. उसमें दो चम्मच खडा नमक डालें ।

३. नमक-पानी उपायों के माध्यम से शरीर की अनिष्ट शक्ति नष्ट करने के लिए भगवान से आर्तता से प्रार्थना करे ।

४. पानी में पैर डुबोकर सीधे बैठें । दोनों पैरों में २-३ सें.मी. अंतर रखें ।

इससे शरीर की अधिकाधिक काली शक्ति बाहर निकलने में सहायता होगी ।

यदि पैर के पंजे एक दूसरे से सटे होंगे, तो पंजों से काली शक्ति को बाहर निकलने में अडचन आ सकती है ।

५. पानी में केवल १०-१५ मिनट पैर डुबोकर रखें । १५ मिनटों से अधिक पैर न डुबोएं ।

इससे जो काली शक्ति नमक के पानी के उपायों के कारण बाहर निकली थी, वह पुन: शरीर में प्रवेश कर सकती है ।

६. पानी में पैर डुबोकर रखते समय नामजप करना आवश्यक होता है ।

जिन्होंने हाल ही में साधना आरंभ की है, वे उपाय करते समय ‘श्री गुरुदेव दत्त ।’ का नामजप कर सकते हैं ।
जो अध्यात्मप्रसार की सेवा में सक्रिय हैं वे ‘ॐ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॐ ॐ।’ नामजप करें ।

७. उपाय पूर्ण होने के उपरांत पैर धीरे से ऊपर उठाकर पहले ही लेकर रखा हुआ स्वच्छ पानी भरा मग से उसी बालटी में पैर धोकर पैर स्वच्छ पोछ लें ।

८. तदुपरांत ‘भगवान की कृपा से ही हम उपाय कर सके और उन्होंने हमारा कष्ट दूर कर हमारे सर्व ओर चैतन्य का संरक्षक-कवच निर्माण किया, नवीन सकारात्मक ऊर्जा दी’, इस विषय में भगवान के चरणों में कृतज्ञता व्यक्त करें ।

९. अंत में वह पानी शौचालय में उडेल दें और बालटी स्वच्छ पानी से धोकर रखें ।

नमक-पानी के उपाय करते समय जप एवं प्रार्थना करने से शरीर की काली शक्ति का विघटन होना आरंभ हो जाता है ।

नमक के पानी में काली शक्ति खींचकर बाहर लाने की क्षमता होती है ।

 

४. नमक-पानी उपायों की परिणामकारकता पहचानने का मापदंड

नमक-पानी उपायों की परिणामकारकता पहचानने के मापदंड कौन से हैं, तो काली शक्ति के बाहर निकलते समय जंभाई आना, डकारें आना, कान एवं आंखें गरम होना अथवा उससे उष्ण भाप सी आना, पैर सुन्न प्रतीत होना, पैरों की सूजन उतरना, कभी-कभी पानी का रंग बदलकर काला-सा लगना, पानी में दुर्गंध आना अथवा पानी का तापमान बढना, इस प्रकार के परिणाम दिखाई दे सकते हैं ।

 

५. नमक पानी के उपाय दिन में कितनी बार करें ?

आध्यात्मिक कष्ट की तीव्रता अधिक हो, तो नमक-पानी के उपाय दिन में २-३ बार, २-३ घंटों के अंतर पर कर सकते हैं; अन्यथा कम से कम एक बार तो अवश्य करें ।

 

६. स्नान के आरंभ में खडे नमक का पानी शरीर पर डालना

हम स्नान के समय भी यह के उपाय कर सकते हैं । वह कैसे करें ?, यह हम समझ लेंगे ।

यदि हमारे पास दो बालटियां हैं, तो एक बालटी में हमेशा की भांति स्नान के लिए गरम/ठंड पानी लें । दूसरी बालटी में ३-४ लोटे गरम/ठंडा पानी लेकर उसमें २ चम्मच खडा नमक डालें । स्नान का आरंभ करते समय पहले खडे नमक का पानी शरीर पर डालें । उस समय अपने उपास्यदेवता से प्रार्थना करें, ‘हे भगवान, इस खडे नमक के माध्यम से मेरी स्थूल एवं सूक्ष्म देहपर आया काली शक्तियों का आवरण नष्ट होने दें, ऐसी आपके चरणों में प्रार्थना है ।’ प्रार्थना के उपरांत खडे नमक का पानी शरीर पर डालें । तदुपरांत हमेशा के पानी से स्नान करें ।

 

७. अनुभूति

नमक पानी के उपाय करने के उपरांत अनेक लोगोंने अनुभूतियां ली हैं ।

  • थकान दूर होना,
  • देह कर काला आवरण दूर होना,
  • उत्साह लगना, अन्य

 

८. वैज्ञानिकता की कसौटी पर भी नमक पानी के उपाय प्रभावी सिद्ध होना

इस उपचारपद्धति के विषय में ‘यूनिवर्सल ऑरा स्कैनर’ अर्थात ‘यू.ए.एस.’ इस उपकरण के माध्यम से सनातन के आश्रम में शोधन किया गया था । इस शोधन में ऐसा पाया गया कि नमक पानी उपाय करने के उपरांत व्यक्ति के शरीर की नकारात्मकता दिखानेवाले ‘इन्फ्रारेड एनर्जी’की प्रविष्टी (रीडिंग) १८० से शून्य पर आ गई । यह अत्यंत महत्त्वपूर्ण सकारात्मक परिवर्तन है । उसके साथ ही व्यक्ति के कुल आभामंडल में परिवर्तन है । उसके साथ ही व्यक्ति का कुल आभामंडल अर्थात ‘ऑरा’ १.४१ मीटर से २.२० मीटर तक बढ गया । इससे वैज्ञानिकदृष्टि से भी यह नमक-पानी का उपाय व्यक्ति में नकारात्मकता कम करता दिखाई देता है । हमारे शास्त्र में समुद्रस्नान के माध्यम से भी एकप्रकार से नमक पानी के स्नान का महत्त्व प्रतिपादित किया है । इससे हिन्दुओं का धर्मशास्त्र वैज्ञानिकता की कसौटी पर भी १०० प्रतिशत टिकनेवाला है, ऐसा दिखाई देता है ।

 

अध्यात्म कृति का शास्त्र है । हम जितना सत्संग में सीखने मिला आचरण में लाते हैं, उतना हमें उसका आध्यात्मिक स्तर पर लाभ होगा । इसलिए हम आज से ही प्रतिदिन नमक पानी के उपाय करना आरंभ करेंगे ।

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