आजकल विश्वभर में कोरोना विषाणुओं का संक्रमण हो रहा है ।
‘कौशिकपद्धति’ ग्रंथ में
‘अतिवृष्टि: अनावृष्टि: शलभा मूषका: शुका: ।
स्वचक्रं परचक्रं च सप्तैता ईतय: स्मृता: ॥’
इस आशय का एक श्लोक है । उसका अर्थ ‘धर्माचरण न करने से अतिवृष्टि, अनावृष्टि (सूखा), टिड्डी दलों के आक्रमण, चूहों के उपद्रव, तोतों के उपद्रव, आपसी लडाईयां और शत्रु देश का आक्रमण जैसे संकट (राष्ट्र पर) आते रहते हैं ।’ आजकल विश्वभर में कोरोना विषाणुओं का संक्रमण होने से राष्ट्र पर मंडरा रहे इस संकट के संदर्भ में चिकित्सकीय उपचारों के साथ आध्यात्मिक बल बढाने के लिए मैंने जिज्ञासावश ईश्वर से पूछा, ‘‘स्वयं को कोरोना विषाणुओं का संक्रमण न हो अथवा हुआ, तो उसे नष्ट करने हेतु किन देवतातत्त्वों की आवश्यकता है ?’ तब मेरे मन में उत्तर आया, ‘देवी, दत्त और शिव ये तत्त्व आवश्यक हैं ।’ कोरोना विषाणुओं के विरुद्ध स्वयं में प्रतिरोधक शक्ति बढाने के लिए चिकित्सकीय सुझाव और चिकित्सा के साथ ही ईश्वर द्वारा सुझाए गए इन ३ देवतातत्त्वों के अनुपात के अनुसार निम्नांकित नामजप तैयार हुआ – ‘श्री दुर्गादेव्यै नमः – श्री दुर्गादेव्यै नमः – श्री दुर्गादेव्यै नमः – श्री गुरुदेव दत्त – श्री दुर्गादेव्यै नमः – श्री दुर्गादेव्यै नमः – श्री दुर्गादेव्यै नमः – ॐ नमः शिवाय ।’
यह नामजप सरलता से ध्यान रहे इसलिए उसका निम्नांकित पद्धति से विभाजन किया जा सकता है – ‘श्री दुर्गादेव्यै नमः’ ३ बार, ‘श्री गुरुदेव दत्त’ १ बार, ‘श्री दुर्गादेव्यै नमः’ ३ बार और ‘ॐ नमः शिवाय’ १ बार ।
‘इस नामजप का परिणाम पेट के निचले भाग पर होता है’, यह ध्यान में आया । यह नामजप १०८ बार (१ माला) करने में ३० से ३५ मिनट लगते हैं । ‘जब तक विश्वभर में कोरोना विषाणुओं का प्रभाव है, तब तक प्रतिबंधक उपाय के रूप में चिकित्सकीय उपचारों के साथ अपना आध्यात्मिक बल भी बढे, इसके लिए यह नामजप प्रतिदिन आधा घंटा (१ माला) करें । जिनमें कोरोना विषाणुओं के संसर्ग के कुछ लक्षण दिखाई दें, वे अपना आध्यात्मिक बल अधिक मात्रा में बढाएं । इसके लिए वे यह नामजप प्रतिदिन ३ घंटे (६ मालाएं) करें’, ऐसा ईश्वर ने सुझाया ।’
– (सद्गुरु) डॉ. मुकुल गाडगीळ, महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय, गोवा. (२०.३.२०२०)
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