त्रिफला गुग्गुलु यह औषधि शरीर का क्लेद (अनावश्यक नमी) तथा मेद (चरबी) नाशक है ।
१. गुणधर्म एवं संभावित उपयोग
‘यह औषधि शरीर का क्लेद (अनावश्यक नमी) तथा मेद (चरबी) नाशक है । विकारों में इसका संभावित उपयोग आगे दिया है; प्रकृति, प्रदेश, ऋतु एवं अन्य विकारों के अनुसार उपचारों में परिवर्तन हो सकता है । इसलिए वैद्यों के मार्गदर्शन में ही औषधि लें ।
उपयोग | औषधि लेने की पद्धति | अवधि |
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बवासीर, भगंदर (गुदा के स्थान पर नली के आकार का व्रण होकर उसमें पस होना), परिकर्तिका (फिशर), कोष्ठबद्धता, किसी भी प्रकार का व्रण, फोडा (बालतोड), मोटापा, मासिक धर्म अनियमित होना, मासिक धर्म के समय अल्प रक्तस्राव होना एवं स्राव में रक्त के थक्के (क्लॉट्स) अथवा दुर्गंध आना | दिन में २ – ३ बार २ – २ गोलियां १ चम्मच मधु (शहद) अथवा १ चम्मच घी अथवा गुनगुने पानी के साथ लें । | १ से ३ मास |
२. सूचना
अ. गोली चबाकर अथवा चूर्ण बनाकर लेने से उसकी परिणामकारकता बढती है ।
आ. आयुवर्ग ३ से ७ के लिए चौथाई एवं ८ से १४ के लिए गोलियों का चूर्ण आधी मात्रा में लें ।’
३. औषधि का सुयोग्य परिणाम होने हेतु यह न करें !
मैदा और बेसन के पदार्थ; खट्टे, नमकीन, अति तैलीय और तीखे पदार्थ, आईस्क्रीम, दही, पनीर, चीज, बासी, असमय और अति भोजन, धूप में घूमना तथा रात्रि जागरण
४. औषधि लेते समय उपास्य देवता से प्रार्थना करें !
हे देवता, यह औषधि मैं आपके चरणों में अर्पण कर आपका ‘प्रसाद’ समझकर ग्रहण कर रहा हूं । इस औषधि से मेरे विकार दूर होने दें ।
– वैद्य मेघराज माधव पराडकर, सनातन आश्रम, रामनाथी, गोवा. (११.६.२०२१)