सेवा करते समय व्यक्ति की अपेक्षा तत्त्व की ओर ध्यान देना, ही वैराग्य है । व्यक्तिनिष्ठता का त्याग कर तत्त्वनिष्ठता का पालन करना, अर्थात् वैराग्य अपने में अंकित करना । प्रत्येक बात में ईश्वर को देखना, ही वास्तव में वैराग्य है !
श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळ