सूक्ष्म में व्याप्त अनिष्ट शक्तियों को नष्ट करने हेतु साधना की आवश्यकता !

कोई मनुष्य चाहे कितना भी बलवान हो अथवा उसके पास शस्त्र हों, तो भी उसे कीटाणुनाशक औषधियां लेनी पडती हैं; क्योंकि यह कीटाणु सूक्ष्म होते हैं । उसी प्रकार से अनिष्ट शक्तियों को नष्ट करने हेतु साधना करनी पडती है । पाश्‍चात्त्यों को केवल कीटाणु ज्ञात हुए, तो हमारे संत एवं ऋषियों को सूक्ष्मातिसूक्ष्म विश्‍व ज्ञात हुआ ।
-(परात्पर गुरु) डॉ. जयंत आठवले

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