साधना में शिष्य अपने सर्वस्व का त्याग कर लेनेवाले गुरु की सेवा करता है !

नित्य जीवन में जहां अधिक वेतन मिलता है, वहां व्यक्ति नौकरी करता है । इसके विपरीत साधना में शिष्य अपने सर्वस्व का त्याग कर लेनेवाले गुरु की सेवा करता है !
-(परात्पर गुरु) डॉ. जयंत आठवले

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