हिन्दुओ, वर्तमान के आपत्काल में मंदिरों का निर्माण कार्य करने में समय का अपव्यय करने की अपेक्षा स्वयं का अस्तित्व संजोने हेतु प्रयास करें !

‘एक देश के राज्यकर्ता वहां के हिन्दू समाज का अस्तित्व नष्ट करने हेतु प्रयत्न करते समय वहां के एक हिन्दुत्वनिष्ठ एक प्राचीन मंदिर का जीर्णाेद्धार होने हेतु स्वयं के समय का अपव्यय कर रहे हैं । आनेवाले आपत्काल में यदि उस देशके हिन्दू ही नष्ट हो गए, तो जीर्णाेद्धार किए मंदिर में कौन जाएगा ? क्या उस समय वहां मंदिर होगा भी ? हिन्दुओ, आगामी भीषण आपत्काल में भारत के साथ सर्वत्र के हिन्दुओं को भीषण अत्याचारों का सामना करना पडेगा । इसलिए बडे मंदिरों का निर्माण कार्य करने में अपनी शक्ति, समय तथा धन का अपव्यय करने की अपेक्षा हिन्दुओं को संगठित कर उन्हें वैध मार्ग से आगामी भीषण आपत्काल का सामना एवं धर्मरक्षा करने हेतु प्रशिक्षित करें !’

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