अबतक हुए चुनावसे यह सिद्ध हो गया है कि चुनावसे पूर्व एक-दूसरेंके विरोधमें लडनेवाले एवं सभाओंके माध्यमसे एक-दूसरेपर आलोचना करनेवाले राजनीतिक पक्ष चुनावके पश्चात राष्ट्र एवं धर्महितके लिए नहीं, अपितु सत्ता एवं उसके माध्यमसे अपने स्वार्थके लिए एकत्रित आते हैं । इससे इन पक्षोंकी तत्त्वहीनता ध्यानमें आती है । ऐसे तत्त्वहीन राजनीतिक पक्षोंको सत्तामें लानेवाले निरर्थक लोकतंत्रको हटाने की मांग कर राष्ट्र एवं धर्मका हित करने तथा देखनेवाले ‘हिन्दू राष्ट्र’की स्थापना अनिवार्य है !
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नागरिको, राजनीतिक पक्षोंकी तत्त्वहीनताको जानें !
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