‘पूर्वकाल में समाज में निहित सात्त्विकता, सामंजस्य, प्रेमभाव इत्यादि गुणों के कारण समाजव्यवस्था भलीभांति बनी रहे, इसके लिए कुछ करना नहीं पडता था । आज समाज में वे घटक निर्माण होने हेतु धर्मशिक्षा ही नहीं दी जाती। इस कारण कानून की सहायता लेकर समाजव्यवस्था भलीभांति बनाए रखने के दयनीय प्रयास किए जाते हैं।’
– सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले