‘शिक्षा के लिए संपूर्ण संसार से लोग भारत में आते हैं, ऐसा एक ही विषय है, वह है मनुष्य का चिरंतन कल्याण करनेवाला अध्यात्मशास्त्र और साधना । वह हिन्दू धर्म की संसार को देन है । ऐसा होते हुए भी भारत के अभी तक के राजनेता उसका महत्त्व समझ नहीं पाए । इसलिए उन्होंने स्वयं की, भारत और हिन्दू धर्म की असीमित हानि की है ।’
– सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले