‘लेखापरीक्षक कुछ व्यक्तियों का लेखा परीक्षण करते हैं तथा उसका उन्हें अहंभाव होता है । इसके विपरीत ईश्वर अनंत कोटि ब्रह्मांड के प्रत्येक जीव के प्रत्येक क्षण का लेखा जोखा (अकाउंट) रखते हैं, तब भी वे अहंशून्य हैं !’
– सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले