‘स्वयं के सुख के लिए दूसरों को दुःख देकर धन का संग्रह करना पाप है; परंतु भविष्यकाल को ध्यान में रखकर उसके लिए अपनी तैयारी उचित प्रकार से करने को ‘दूरदर्शिता’ कहते हैं ।’
– सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवले
‘स्वयं के सुख के लिए दूसरों को दुःख देकर धन का संग्रह करना पाप है; परंतु भविष्यकाल को ध्यान में रखकर उसके लिए अपनी तैयारी उचित प्रकार से करने को ‘दूरदर्शिता’ कहते हैं ।’
– सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवले