‘अपने पुत्र का आगे कैसे होगा ?’, यह चिंता उसके माता-पिता को होती है । इसके विपरीत ʻराष्ट्र के सभी लोगों को संत अपनी संतान मानते हैं । इस व्यापक भाव के कारण संत सदैव आनंदी रहते हैं ।’
– सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले
‘अपने पुत्र का आगे कैसे होगा ?’, यह चिंता उसके माता-पिता को होती है । इसके विपरीत ʻराष्ट्र के सभी लोगों को संत अपनी संतान मानते हैं । इस व्यापक भाव के कारण संत सदैव आनंदी रहते हैं ।’
– सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले