‘व्यावहारिक जीवन में आंखों के विशेषज्ञ को आंखों के रोग होते हैं । हृदय- विशेषज्ञ को हृदय का विकार होता है। मनोचिकित्सक को मानसिक विकार होते पाए जाते हैं; परंतु अध्यात्म में संतों को अन्यों के आध्यात्मिक कष्ट दूर करने पर आध्यात्मिक कष्ट नहीं होते । कुछ संतों को शारीरिक कष्ट हो रहे हों, तब भी वे देह-प्रारब्ध के अनुसार होते हैं । इसका संतों पर परिणाम नहीं होता !’
– सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवले