‘धर्मशिक्षा के अभाववश तथा बुद्धिप्रमाणवादियों द्वारा निर्मित संदेह के कारण हिन्दुओं को हिन्दू धर्म की अद्वितीयता ज्ञात नहीं । इस कारण उनमें धर्माभिमान नहीं । परिणामस्वरूप उनकी स्थिति संसार के अन्य पंथियों की अपेक्षा आज अधिक दयनीय हो चुकी है !’
– सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले