‘भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में (अध्याय २, श्लोक ११) अर्जुन से कहा,
अशोच्यानन्वशोचस्त्वं प्रज्ञावादांश्च भाषसे ।
अर्थात ‘हे अर्जुन, जिनके लिए शोक नहीं करना चाहिए, उन लोगों के लिए तुम शोक करते हो तथा विद्वानों के समान युक्तिवाद करते हो ।’ अर्जुन के समान आजकल अधिकांश हिन्दुओं की स्थिति हो गई है । कुछ करने के स्थान पर वे बडे-बडे युक्तिवाद करते हैं तथा उसी में अपनी प्रशंसा समझते हैं !’
– सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले