रज-तम का प्रदूषण ही सभी प्रदूषणों का मूल है !

‘ध्वनि-प्रदूषण, जल-प्रदूषण, वायु- प्रदूषण इत्यादि के विषय में सदैव समाचार आते हैं; परंतु उनके मूल में निहित रजतम के प्रदूषण की ओर धर्मशिक्षा के अभाव में किसी का भी ध्यान नहीं जाता !’

– सच्चिदानंद परब्रह्म डॉक्टर आठवले

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