अ. जब (खेत में) नदी का पानी आता है, तब उसे पाट बनाकर दिशा देनी पडती है; अन्यथा वह समस्त (खेत) नष्ट कर देता है । उसीप्रकार मन में आ रहे विचारों को दिशा देनी पडती है ।
आ. ‘मन खोलना’, अर्थात ईश्वर द्वारा सुझाया गया बोलना एवं बताना । मन खाली करने के उपरांत ही वह शांत होता है । मन खोलना, अर्थात ‘हमें जो लगता है नहीं बताना चाहिए’, वही बताना ।
इ. मनोबल के साथ ही आत्मबल बढता है ।
– सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळे