बुद्धिप्रमाणवादी चिकित्सा, अभियंत्रिकी इत्यादि बौद्धिक स्तर के विषयों पर आधुनिक वैद्य (डॉक्टर), अभियंता इत्यादि से वाद-विवाद नहीं करते; परंतु बुद्धि के परे के और जिसमें उनको स्वयं शून्य ज्ञान है, ऐसे अध्यात्मशास्त्र के विषय में ‘मैं सर्वज्ञ हूं’, इस विचार से संतों पर टीका-टिप्पणी करते हैं !
– (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले