‘वर्तमान काल के स्त्री-पुरुष के बीच का प्रेम अधिकतर केवल शारीरिक प्रेम होता है । इसलिए उन्हें विवाह करने की भी आवश्यकता नहीं लगती और उन्होंने विवाह किया, तो वह टूट जाता है । उनकी एक-दूसरे से नहीं बनी, तो वे मानसिक प्रेम न होने से जोडीदार बदलते रहते हैं । विवाह किया हो, तो अल्पावधि में ही उनका विवाह विच्छेद होकर वे अलग हो जाते हैं ।’
– (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले (८.२.२०२२)