दलों के कार्यकर्ता और साधकों में भेद !

‘राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं को स्वार्थ के लिए अपने दल की सरकार की आवश्यकता होती है । इसके विपरीत साधकों को ‘सभी की भलाई के लिए’ ईश्वरीय (धर्म) राज्य की आवश्यकता होती है ।’

– (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले

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