‘राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं को स्वार्थ के लिए अपने दल की सरकार की आवश्यकता होती है । इसके विपरीत साधकों को ‘सभी की भलाई के लिए’ ईश्वरीय (धर्म) राज्य की आवश्यकता होती है ।’
– (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले
‘राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं को स्वार्थ के लिए अपने दल की सरकार की आवश्यकता होती है । इसके विपरीत साधकों को ‘सभी की भलाई के लिए’ ईश्वरीय (धर्म) राज्य की आवश्यकता होती है ।’
– (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले