‘जब शिष्य को गुरु की बात सुनने का अभ्यास हो जाता है, तभी शिष्य ईश्वर की बातें सुनता है । ऐसा होने के कारण ऐसे शिष्य को ही ईश्वर दर्शन देते हैं । इसलिए वे बुद्धिप्रमाणवादियों को दर्शन नहीं देते ।’
– (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले
‘जब शिष्य को गुरु की बात सुनने का अभ्यास हो जाता है, तभी शिष्य ईश्वर की बातें सुनता है । ऐसा होने के कारण ऐसे शिष्य को ही ईश्वर दर्शन देते हैं । इसलिए वे बुद्धिप्रमाणवादियों को दर्शन नहीं देते ।’
– (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले