‘बुद्धिप्रमाणवादियों को अहंकार होता है, ‘मानव ने नए-नए यंत्र खोजे ।’ उन्हें यह समझ में नहीं आता कि ईश्वर ने जीवाणु, पशु-पक्षी, ७०-८० वर्ष चलनेवाला एक यंत्र अर्थात मानव शरीर जैसी अरबों वस्तुएं बनाई हैं । उनमें से एक भी वस्तु क्या वैज्ञानिक बना पाए हैं ?’
– (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले