सिखानेवाले और निरंतर सीखने की स्थिति में रहनेवाले सनातन के संत !

‘अधिकांश संत उन्हें ‘संत’ की उपाधि प्राप्त होने के उपरांत सिखाने की स्थिति में रहते हैं । इसलिए उनसे ‘अगले स्तर की साधना सीखना, साधना के विविध पहलू और उनकी सूक्ष्मता पूछकर आत्मसात करना’, ऐसी कृतियां नहीं होतीं । इसके विपरीत, सनातन के संतों को ‘अध्यात्म अनंत का शास्त्र है’, यह ज्ञात होने से वे निरंतर सीखने की स्थिति में रहते हैं ।’

– (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले (३.११.२०२१)

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