सनातन संस्था का अनोखापन !

‘वर्तमान में समाज में प्रत्येक व्यक्ति मान-सम्मान और प्रतिष्ठा के लिए विविध पदवियां एवं धन अर्जित करता है। इसके विपरीत सनातन संस्था में प्रत्येक व्यक्ति किसी भी व्यावहारिक फल की अपेक्षा न रख; तन, मन एवं धन का अधिकाधिक त्याग करता है ।’

– (परात्पर गुरु) डॉ. जयंत आठवले

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