हिन्दू राष्ट्र के विषय में परिवर्तित होता दृष्टिकोण !

‘पहले लोगों को लगता था कि ‘हिन्‍दू राष्‍ट्र’ एक सपना है । ‘हिन्‍दू राष्‍ट्र्र’ कभी भी स्‍थापित नहीं हो सकता’; परंतु अब अनेक लोगों को लगता है कि ‘हिन्‍दू राष्‍ट्र की स्‍थापना निश्‍चित ही होगी ।’

– (परात्‍पर गुरु) डॉ. आठवले

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