‘कीटाणु आँखों से दिखाई नहीं देते; परंतु सूक्ष्मदर्शी यंत्र से दिखाई देते हैं । उसी प्रकार जो सूक्ष्मदर्शी यंत्र से दिखाई नहीं देता, ऐसे सूक्ष्मातिसूक्ष्म विश्व साधना से समझ में आता है ।’
– (परात्पर गुरु) डॉ. जयंत आठवले
‘कीटाणु आँखों से दिखाई नहीं देते; परंतु सूक्ष्मदर्शी यंत्र से दिखाई देते हैं । उसी प्रकार जो सूक्ष्मदर्शी यंत्र से दिखाई नहीं देता, ऐसे सूक्ष्मातिसूक्ष्म विश्व साधना से समझ में आता है ।’
– (परात्पर गुरु) डॉ. जयंत आठवले