‘अब तक हम कौशल विकास हिन्दू राष्ट्र – स्थापना के लिए हिन्दुओं को संगठित करने की दृष्टि से कर रहे थे । अब काल के अनुसार आपातकालीन परिस्थिति का प्रतिकार करने की दृष्टि से विशेषतः हिन्दुओं की रक्षा की दृष्टि से कौशल विकास करना होगा ।
वर्तमानकाल, आपातकाल अर्थात संकटकाल है और छह माह में आनेवाला प्रत्यक्ष युद्धकाल होगा । ऐसे संकटकाल में देशभक्त और सत्त्वगुणी हिन्दुओं की रक्षा और भारत की सुरक्षा ही धर्मरक्षा का कार्य होगा । प्रत्येक को यह कार्य करने की दृष्टि से कौशल विकास करना आवश्यक है ।
स्वरक्षा सीखने के साथ प्रथमोपचार, आपातकालीन सहायता, अग्निशमन, जलतरण (तैराकी), वाहन-चलाना इत्यादि कौशल संकटकाल में उपयुक्त होंगे । इस ‘हिन्दू राष्ट्र-संगठन अधिवेशन’से सभी को संकटकाल की तैयारी करने की सद्बुद्धि मिले, यह मेरे गुरु प.पू. भक्तराज महाराजजी के चरणों में प्रार्थना है !’
-(परात्पर गुरु) डॉ. जयंत आठवले