‘जिस प्रकार अडचन के समय सहायता मिलने के लिए हम अधिकोष में (बैंक में ) पैसे रखते हैं । उसी प्रकार संकटकाल में हमें सहायता मिल सके, इस हेतु हमारे पास साधना का संग्रह होना आवश्यक है । इससे हमें संकट के समय सहायता मिलती है ।’
– (परात्पर गुरु) डॉ. जयंत आठवले