‘मंदिरों में देवता के कर्मचारी दर्शनार्थियों को दर्शन देने के अतिरिक्त और क्या करते हैं ? उन्होंने दर्शनार्थियों को धर्मशिक्षा दी होती, उन्हें साधना सिखाई होती, तो हिंदुओं की और भारत की ऐसी दयनीय स्थिति नहीं हुई होती ।’
-(परात्पर गुरु) डॉ. जयंत आठवले