‘हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए किसी को कुछ करने की आवश्यकता नहीं है; क्योंकि कालमहिमा के अनुसार वह होनेवाला ही है; परंतु इस कार्य में जो तन-मन-धन का त्याग कर सम्मिलित होंगे, उनकी साधना होगी और वे जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त होंगे ।
-(परात्पर गुरु) डॉ. जयंत आठवले