शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक स्तरों पर राष्ट्र-धर्म के लिए कार्य कर कुछ साध्य नहीं होता, यह विगत ७२ वर्षों में अनेक बार सिद्ध हुआ है । अब उसके साथ ही आध्यात्मिक स्तर पर भी कार्य करना अत्यावश्यक है, यह सभी को ध्यान में रखना आवश्यक है ।
-(परात्पर गुरु) डॉ. जयंत आठवले