‘राजकीय क्षेत्र के सभी कार्यकर्ताओं के विषय माया से संबंधित होते हैं । अतः उनका लेखन अधिक समय तक नहीं टिकता । इसके विपरीत आध्यात्मिक क्षेत्र का लेखन अधिक समय अथवा अनेक युगों तक टिकता है, उदा. वेद, उपनिषद, पुराण इत्यादि ।’
-(परात्पर गुरु) डॉ. जयंत आठवले