‘नेत्रों को खोलने पर ही दिखाई देता है, वैसे ही साधना से सूक्ष्मदृष्टि जागृत होने पर ही, सूक्ष्म से दिखता और समझ में आता है । साधना से सूक्ष्मदृष्टि जागृत होने तक बुद्धिजीवी अंधकार में ही रहते है ।’
-(परात्पर गुरु) डॉ. जयंत आठवले
‘नेत्रों को खोलने पर ही दिखाई देता है, वैसे ही साधना से सूक्ष्मदृष्टि जागृत होने पर ही, सूक्ष्म से दिखता और समझ में आता है । साधना से सूक्ष्मदृष्टि जागृत होने तक बुद्धिजीवी अंधकार में ही रहते है ।’
-(परात्पर गुरु) डॉ. जयंत आठवले