‘युद्ध तात्कालिक समाचार होता है । आगे ५० – ६० वर्षों में बडे बडे युद्धों के इतिहास का भी विस्मरण हो जाता है , उदा. पहला एवं दूसरा महायुद्ध और इनसे पूर्व हुए सभी युद्ध भी । इसके विपरीत अध्यात्मसंबंधी वेद-उपनिषद इत्यादि ग्रंथ चिरकाल से टिके हुए हैं ।’
-(परात्पर गुरु) डॉ. जयंत आठवले