क्षात्रतेज की अपेक्षा साधना में ब्राह्मतेज का महत्व है !

‘ किसी सात्विक राजा का चरित्र पढ़कर थोड़े समय के लिए उत्साह लगता है; पर ऋषिमुनियों के चरित्र और उनका दिया ज्ञान पढ़कर अधिक समय तक उत्साह लगता है और साधना को दिशा मिलती है !’
-(परात्पर गुरु) डॉ. जयंत आठवले

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