‘प्रवचन, व्याख्यान और वर्तमान घटनाक्रम पर ग्रन्थ लिखने में जिनका जीवन व्यतीत होता है, उनका नाम और कार्य उनके जीवित रहने तक रहता है । इसके विपरीत जो शोध कार्य करते हैं उनका नाम और कार्य अगली अनेक पीढ़ियों को भी ज्ञात होता है ।’
-(परात्पर गुरु) डॉ. जयंत आठवले