‘जिस प्रकार निरक्षर का कहना कि ‘सर्व भाषाओं के अक्षर…

‘जिस प्रकार निरक्षर का कहना कि ‘सर्व भाषाओं के अक्षर समान होते हैं’, उसका अज्ञान दर्शाता है, उसी प्रकार जो ‘सर्वधर्मसमभाव’ कहते हैं, वह अपना अज्ञान दर्शाते हैं । ‘सर्वधर्मसमभाव’ कहना उसी सामान है जैसे कहना कि,‘सभी औषधियां, सभी कानून समान हैं ।’
-(परात्पर गुरु) डॉ. जयंत आठवले

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