ʻव्यवहार में अधिकाधिक कमाना होता है, तो साधना में सर्वस्व…

ʻव्यवहार में अधिकाधिक कमाना होता है, तो साधना में सर्वस्व का त्याग होता है; इसलिए व्यवहार के लोग दुःखी रहते हैं, तो साधक आनंदी रहते हैं ।ʼ
-(परात्पर गुरु) डॉ. जयंत आठवले

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