‘न मे भक्तः प्रणश्यति ।’ – श्रीमद्भगवद्गीता, अध्याय ९, श्लोक ३१
अर्थ: मेरे भक्त का नाश नहीं होता ।
भक्त को, साधना करनेवाले को ही ईश्वर बचाते हैं, यह ध्यान में रखकर अभी से तीव्र साधना करें, तो ही ईश्वर आपातकाल में बचाएंगेʼ
-(परात्पर गुरु) डॉ. जयंत आठवले