‘विजयादशमी का त्योहार शत्रु के राज्य में जाकर विजय हेतु सीमोल्लंघन करने की सनातन परंपरा बतानेवाला त्योहार है । यह दिन महिषासुर का वध करनेवाली श्री दुर्गादेवी और कौरवों का अकेले पराभव करनेवाले अज्ञातवासी अर्जुन का संस्मरण करने का दिन है । वर्तमान में विजयादशमी के दिन सीमोल्लंघन कर्मकांड के रूप में किया जाता है । चुनाव निकट आने पर कुछ हिन्दू आवाहन करते हैं कि ‘विशिष्ट विचारधारा का राजनीतिक दल विजयी होने पर हिन्दुआें को लाभ मिलेगा’, ऐसे गणित प्रस्तुत कर कहते हैं कि मतदान के लिए सीमोल्लंघन करें । वास्तव में आज तक भारत में लोकतंत्र में सर्व प्रकार के विचारों की सरकारें आकर भी हिन्दुआें के हित की घटनाएं नहीं घटीं, यह एक प्रकार से हिन्दुआें का राजनीतिक पराभव ही है । इसका एकमात्र कारण है कि वर्तमान व्यवस्था में हिन्दुआें के हित का विचार नहीं है । इसलिए कोई भी राजनीतिक दल विजयी हो, तब भी हिन्दू पराभूत ही होंगे । इसलिए हिन्दुआें के हितों का विचार करनेवाली व्यवस्था बनाना, आज के काल का धर्मसंस्थापना का कार्य है । इस दृष्टिकोण से इस वर्ष की विजयादशमी को प्रत्येक हिन्दू को व्यवस्था परिवर्तन अर्थात धर्मसंस्थापना का कार्य करने के लिए निश्चयपूर्वक सीमोल्लंघन करना आवश्यक है । धर्मसंंस्थापना होकर आदर्श राज्य प्राप्त होना ही हिन्दुआें की खरी विजय है । इस विजय के पश्चात ही हिन्दू विजयादशमी का विजयोत्सव वास्तविक रूप से मना पाएंगे ।’
– (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले