गुरुपूर्णिमा निमित्त परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी का संदेश
‘गुरुपूर्णिमा अर्थात गुरुतत्त्व के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का दिन ! सनातन धर्म की ज्ञानपरंपरा गुरु-शिष्य परंपरा के माध्यम से ही प्रवाही है । इसी परंपरा ने भारत को ‘विश्वगुरु’ बनाया है । भारत के अध्यात्मविश्व में आज भी महान गुरु-शिष्य परंपरा कार्यरत है । आज सनातन धर्म को भीषण ग्लानि आई है; तब भी विविध धर्मसंप्रदाय, धार्मिक संस्था आदि के माध्यम से कार्यरत गुरु-शिष्य परंपरा भारत की गौरवशाली ज्ञानपरंपरा प्रवाही रखने के लिए प्रयत्नशील हैं । ज्ञानशक्ति के स्तर पर कार्य करनेवाली इस परंपरा को, धर्मग्लानि दूर करने के लिए कालानुसार क्रियाशक्ति के स्तर पर भी कार्य करना होगा ।
भ्रष्टाचार, अनैतिक आचरण तथा सभी क्षेत्रों में फैले पाखंड आदि धर्म को आई ग्लानि के प्रत्यक्ष लक्षण हैं । विद्यमान लोकतांत्रिक राज्यव्यवस्था को धर्माधिष्ठान न होने के कारण धर्म को ग्लानि आई है । इसका एकमात्र उपाय है भारत में धर्माधिष्ठित हिन्दू राष्ट्र (ईश्वरीय राज्य) की स्थापना करना ! धर्माधिष्ठित राज्यव्यवस्था पुनर्स्थापित करना ! संतों के आध्यात्मिक योगदान के कारण सूक्ष्म से हिन्दू राष्ट्र की स्थापना का समय आ गया है । वर्ष २०२३ में भारत में हिन्दू राष्ट्र की स्थूल से स्थापना होगी आज विविध संप्रदाय, धार्मिक संस्था आदि द्वारा कार्यरत गुरु-शिष्य परंपरा को इसके लिए प्रत्यक्ष कार्य करना आवश्यक है । इस क्रियाशक्ति के प्रयत्नों से ही भारत में हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करना संभव होगा । भारत में सनातन धर्म पुनर्स्थापित होने के उपरांत ही, भारत की ज्ञानशक्ति पुनः संपूर्ण विश्व में प्रवाही होगी और भारत खरे अर्थ में पुनः ‘विश्वगुरु’ बनेगा !’
– (परात्पर गुरु) डॉ. जयंत आठवले, सनातन संस्था. (गुरुपूर्णिमा २०१८)