भारत में हिन्दू राष्ट्र की अर्थात सनातन धर्मराज्य की पुनर्स्थापना करने हेतु समय के अनुसार प्रयास करना भी एक प्रकार से समष्टि गुरुकार्य ही है । आज के दिन धर्मनिरपेक्षतावादी, वामपंथी, बुद्धीजीवी एवं अहिन्दू राजनेता हिन्दू राष्ट्र इस शब्द का ही विरोध कर रहे हैं । अध्यात्म का अध्ययन न होने से उनको काल की महिमा, सूक्ष्मविश्व, ईश्वर की कृपा इत्यादि बातें समझ में नहीं आतीं । वास्तविक पृथ्वीपर होनेवाली घटनाएं तो सूक्ष्म से पहले ही घटित हुई होती है । वास्तविक युद्ध तो देवता एवं असुरों के मध्य में होता है तथा प्रत्येक युद्ध में देवताओ को ही विजय मिलती है । आज के दिन पृथ्वीपर सनातन धर्मराज्य की स्थापना हेतु चल रहे सूक्ष्म में स्थित युद्ध में देवता एवं संतों के हाथों भूवलोक से लेकर ६ठे पातालतक की असुरी शक्तियों की पराजय हो चूकी है । उसका भारतपर होनेवाला दृश्य परिणाम यह है कि सर्वत्र तामसिक राजनीतिक दलों की पराजय होकर राजसिक राजनीतिक दलों की विजय हो रही है । आज के दिन देवता एवं संतों के माध्यम से ७वें पाताल में स्थित आसुरी शक्तियों के विरुद्ध चल रहा सूक्ष्म में स्थित युद्ध अंतिम होने से वह निर्णायक होगा । यह समय धर्मविरोधी शक्तियों के लिए जितना अनुकूल है, उतना ही हिन्दू धर्मप्रेमियों के लिए प्रतिकूल है ।
वर्ष २०१८ के पश्चात सर्वत्र अराजक की भांति स्थिति उत्पन्न होगी । साथ ही आगे जाकर तिसरा महायुद्ध और प्राकृतिक आपदाओ के कारणों से भी जीवनयापन करना असहनीय होगा । अनेक द्रष्टा संतों ने भी भविष्यकालीन समय केवल भारत के लिए ही नहीं; अपितु पूरे विश्व के लिए भीषण है, ऐसा बताया है । ऐसे भीषण समय का सामना करने हेतु प्रचुर आत्मबल की आवश्यकता होती है और यह आत्मबल केवल संतों की कृपा एवं साधना के कारण ही प्राप्त हो सकती है । आज का समय चाहे अनिष्ट हो, तो भी वर्ष २०२३ के पश्चात का समय सनातन धर्म के लिए अनुकूल है । इसी समय में सत्त्वगुणी लोगों द्वारा भारत में हिन्दू राष्ट्र की स्थापना होगी । गुरुपूर्णिमा तो साधना में निहित मार्गदर्शक संत एवं गुरुदेवजी के चरणों में कृतज्ञता व्यक्त करने का दिन है । वास्तविक रूप से केवल कृतज्ञता के रूप में गुरुपूर्णिमा मनाने की अपेक्षा पूरे वर्ष में संत एवं गुरुदेवजी द्वारा बताई गई साधना करना गुरुतत्त्व को अपेक्षित होता है । हिन्दुओ , इस गुरुपूर्णिमा से आनेवाले भीषण समय में न्यूनतम जीवित रहने हेतु से तो संत एवं गुरुदेवजी के मार्गदर्शन में साधना करने का निश्चय कीजिए !
– परात्पर गुरु डॉ. आठवले (२९.३.२०१७)