मुंबई के प्रसिद्ध अंधेरी का राजा सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडल ने जीन्स, स्कर्ट परिधान कर आनेवाली महिलाआें एवं छोटी पैंट पहनकर आनेवाले पुरुषों के लिए गणेशजी के दर्शन करने पर प्रतिबंध लगाया है । फ्लैक्स फलक के छायाचित्रों द्वारा यह बताया गया है । सात्त्विकता बनाए रखने की दृष्टिसे मंडल ने ऐसा निर्णय लिया है । हमारे देश, धर्म, संस्कृति, आहार, धार्मिक उत्सव आदि पर विदेशी प्रथाआें के जाल फैल गए है । हिन्दू धर्म के त्यौहार और उत्सवों में कौनसे कपडे न पहने जाए यह भी बताना पडता है, हिन्दुआें को धर्मशिक्षा की कितनी आवश्यकता है यही दर्शाता है ।
भारत में कुछ क्षेत्र के हिन्दू अति आधुनिकता दिखा कर पश्चिमी पद्धति से जीवन जीने में संतोष मानते है । पश्चिम मुंबई में अंधेरी के कुछ भाग को ऐसा ही अति आधुनिक लोगों का क्षेत्र माना जाता है । मनुष्य जितना विचार कर सकता है उतनी ही वह कृति कर सकता है । इस प्रकार जिनके कपडे ही छोटे है उनका ईश्वर के प्रति भोला भाव होगा क्या, ऐसा प्रश्न श्रद्धालुआेंं के मन में आए तो आश्चर्य नहीं ? कुर्ता-पजामा, धोती-कुर्ता, सलवार-कुर्ता, छह एवं नौ गज की साडी आदि अपने पारंपरिक पोषाख को छोडकर ही अन्य कपडे ही समाज में देखने को मिल रहे हैं । देवताआें के दर्शन के लिए पारंपरिक वेश में ही आए अन्यथा उन्हें दर्शन का कोई लाभ नहीं होगा । केवल ऐसे ही आनेवालों को, वे अनुचित कर रहे है इसका भान कराना आवश्यक हो गया है । ऐसों का धार्मिकता से दूर का भी संबंध नहीं होता । इस कारण छोटे कपडे परिधान कर न आए । यह बताना प्रत्येक गणेशोत्सव मंडल ने स्वयं का नैतिक दायित्व समझना उचित होगा । छोटे कपडे परिधान करनेवालों को छायाचित्रात्मक सूचना के माध्यम से विभिन्न स्थानों पर प्रवेश से मना करने पर वे अपने आप ही भाग जाएंगे ।
प्रसारमाध्यमों ने अंधेरी के राजा मंडल की सूचना की तुलना फतवे से की है । उनकी फतवा और सूचना का भेद जानने में कोई रूचि नहीं है । एक सीधी और सरल सूचना की तुलना फतवे से क्यों की जाती है, ऐसा प्रश्न प्रसारमाध्यमों से पूछा जाना चाहिए । हिन्दू धर्म और फतवा में मेल करने का प्रयास प्रसारमाध्यमों की एवं आधुनिकतावादियों की यह एक चालबाजी ही है । अगले वर्ष अधिकाधिक गणेशोत्सव मंडल ने इस मंडल की कृति से बोध लेना चाहिए, साथ ही मंडप की पावित्रता बनाए रखने हेतु अभी से विचार करना चाहिए । कुछ दिनों में नवरात्रोत्सव प्रारंभ होगा । तब भी अधिकांश नवरात्रोत्सव मंडल इस आशय के फलक लगाए तो दुर्गामाता का कृपाशीर्वाद उन्हें निश्चित ही प्राप्त होगा !
– श्री. विलास पुंडले, पनवेल, रायगड.
संदर्भ : दैनिक सनातन प्रभात