बेंगलूरु – साम्यवादी विचारों की नक्सल समर्थक पत्रकार गौरी लंकेश (आयु ५५ वर्ष) की ५ सितंबर को रात ८ बजे यहां के राजराजेश्वरी क्षेत्र में उनके घर के बाहर अज्ञात हमलावरों ने गोलियां झाडकर हत्या की । रात में अपने कार्यालय से चारपहिया गाडी से घर पहुंचने पर गाडी से उतरते समय हमलावरों ने उनके सिर, गले तथा छाती में गोलियां दागीं ।
कोई भी हत्या निषेधार्ह ही है; परंतु हिन्दुआें की हत्याआें पर मौन व कम्यूनिस्टों
की हत्याआें पर हल्ला, यह दांभिक पुरोगामित्व है ! – चेतन राजहंस, प्रवक्ता, सनातन संस्था
कर्नाटक की ज्येष्ठ पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या हुई और पुन: एक बार बिना किसी जांच के देशभर में पुरोगामियों की हत्या, विचारों की हत्या आदि नाम से हल्ला मचने लगा है । हिन्दुत्व को अपकीर्त (बदनाम) करने के लिए प्राप्त अवसर को कैसे साधा जाए, यह कम्यूनिस्टों की प्रकृति है । कर्नाटक सहित दक्षिण भारत में चल रहे सदर्न जिहाद के नाम पर हिन्दुत्वनिष्ठों को केंद्रित कर की जानेवाली हत्याआें के विषय में आज भी तथाकथित पुरोगामी चुप्पी साधे क्यों बैठे हैं ? हत्या किसी की भी हो, वह निषेधार्ह ही है; परंतु पुरोगामी विचारकों की हत्या मानवता में आती है और हिन्दुत्वनिष्ठ विचारकों की हत्या मानवता के दृष्टिकोण में नहीं बैठती, ऐसा है क्या ? हिन्दुआें की हत्याआें पर मौन रखकर कम्यूनिस्टों की हत्याआें पर हल्ला मचाना, यह दांभिक पुरोगामित्व है । सनातन संस्था इस तथाकथित मानवतावादी दृष्टिकोण का भी निषेध करती है ।
– श्री. चेतन राजहंस, प्रवक्ता, सनातन संस्था
स्रोत : दैनिक सनातन प्रभात