१. घर में स्थापित मूर्ति
१. अ. मूर्ति खंडित न हुई हो
‘यदि मूर्ति नीचे गिर जाए और खंडित न हो, तब प्रायश्चित करने की आवश्यकता नहीं है । देवी से केवल क्षमा मांगें तथा तिलहोम, पंचामृत पूजा, दुग्धाभिषेक आदि कर्म अध्यात्म के जानकार से पूछकर करें ।
१. आ. मूर्ति खंडित हुई हो
मूर्ति यदि गिरकर खंडित हो जाए, तब इस घटना को अपशकुन माना जाता है । देवी का मुकुट गिरना भी अपशकुन होता है । यह घटना, आगामी संकट की सूचना हो सकती है । ऐसे समय, मूर्ति बहते पानी में विसर्जन कर, नई मूर्ति की प्राणप्रतिष्ठा करें ।
२. मंदिर की मूर्ति
मूर्ति के अचल तथा चल, ये दो प्रकार होते हैं ।
२ अ. अचल मूर्ति
इस प्रकार की मूर्ति मंदिर में स्थायीरूप से बैठाई जाती है । इसलिए, इसके विषय में न तो हिलने का और न गिरकर खंडित होने का प्रश्न होता है । किंतु, जिस समय वह गिरती है; तब वह भग्न होने के कारण अथवा उसका क्षरण होने के कारण ही गिरती है । ऐसे में उसे बहते पानी में विसर्जित कर, उसके स्थान पर नई मूर्ति विधिवत स्थापित करें ।
२ आ. चल मूर्ति
यह मंदिर की उत्सवमूर्ति होती है । इसे दूसरे स्थान पर ले जा सकते हैं । यह मूर्ति टूटी न हो, केवल गिरी हो, तब उपर्युक्त सूत्र १ अ. में बताए अनुसार उसकी विधि करें । तत्पश्चात्, वह प्रतिमा पहले की भांति पूजा में रख सकते हैं; किंतु यदि खंडित हो जाए, तब बहते पानी में विसर्जित कर, नई प्रतिमा की प्राणप्रतिष्ठा करनी चाहिए ।’
३. घर तथा मंदिर की खंडित मूर्ति की प्राणप्रतिष्ठा के विषय में सूत्र
मूर्ति खंडित होना, आगामी संकट का सूचक है । अतः घर तथा मंदिर की खंडित मूर्ति विसर्जित कर, नई मूर्ति की प्राणप्रतिष्ठा करने से पहले, शास्त्रानुसार अघोर होम, तत्त्वोत्तारण (खंडित मूर्ति में से देवता का तत्त्व निकालकर, नई प्रतिमा में डालना ।) आदि कर्म करने के लिए धर्मशास्त्र कहता है । इन कर्मों से अनिष्ट का निवारण होकर, शांति मिलती है । अंतर केवल इतना ही है कि, घर में ये कर्म थोडे में किए जाते हैं तथा मंदिरों में शास्त्रोक्त पद्धति से बडे स्तर पर किए जाते हैं ।’
– वेदमूर्ति श्री केतन रविकांत शहाणे, अध्यापक, सनातन साधक पुरोहित पाठशाला, सनातन आश्रम, रामनाथी, गोवा.
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