ज्योतिर्मय काशी (उत्तरप्रदेश) की श्री ब्रह्मचारिणी देवी

श्री ब्रह्मचारिणी देवी की पूजा की प्रतिमा !

श्री ब्रह्मचारिणी देवी के चरणों का मनःपूर्वक दर्शन करेंगे !

 

नवरात्रि में प्रतिदिन भारत के अलग-अलग प्राचीन देवीमंदिरों का इतिहास, उनका महत्त्व, छायाचित्र, साथ ही नवरात्रोत्सव मनाने का अध्यात्मशास्त्र है, आदि की जानकारी देंगे । इस माध्यम से पाठकों की  देवी के प्रति भक्ति बढे, यह जगत् जननी श्री जगदंबा के चरणों में प्रार्थना है !

काशी के दुर्गाघाट पर श्री ब्रह्मचारिणी देवी का मंदिर है । श्री ब्रह्मचारिणी देवी का रूप ज्योर्तिमय एवं भव्य है । देवी  के एक हाथ में जपमाला तथा दूसरे हाथ में कमंडलु है । देवी के प्रति श्रद्धालुओं का विश्वास है कि ‘इस देवी के दर्शन से परब्रह्म की प्राप्ति होती है ।’ शारदीय नवरात्रि के दूसरे दिन श्री ब्रह्मचारिणी देवी की पूजा की जाती है । उस  समय काशी के साथ अन्य स्थानों से भी सहस्रों भक्त यहां दर्शन हेतु आते हैं ।

मंदिर में श्री ब्रह्मचारिणी देवी की प्रतिमा के साथ देवी की पादुकाएं, शिवपिंडी, श्री सूर्यदेव, श्री अन्नपूर्णा देवी तथा  लक्ष्मीनरसिंह इन देवताओं की भी प्रतिमाएं हैं ।

सनातन की सद्गुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळ ४ वर्ष से भी अधिक समय से भारत में भ्रमण कर प्राचीन मंदिर,  भवन, दुर्ग तथा अन्य विशेषतापूर्ण वस्तुओं के छायाचित्र संग्रहित कर रही हैं । इसलिए, हमें घरबैठे ही उनके दर्शन हो  रहे हैं । अतः हम परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी तथा सद्गुरु (श्रीमती ) अंजली गाडगीळ के चरणों में कृतज्ञता व्यक्त  करेंगे !

स्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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